लेखनी कविता - चमत्कार - नागार्जुन
चमत्कार / नागार्जुन
हज़ार-हज़ार बाहों वाली »
पेट-पेट में आग लगी है, घर-घर में है फाका
यह भी भारी चमत्कार है, काँग्रेसी महिमा का
सूखी आँतों की ऐंठन का, हमने सुना धमाका
यह भी भारी चमत्कार है, काँग्रेसी महिमा का
महज विधानसभा तक सीमित है, जनतंत्री ख़ाका
यह भी भारी चमत्कार है, काँग्रेसी महिमा का
तीन रात में तेरह जगहों पर, पड़ता है डाका
यह भी भरी चमत्कार है, काँग्रेसी महिमा का